शिवालये प्रदक्षिण विधिः || व्रुषं चण्डं व्रुषंचैव सोमसूत्रं पुनर्व्रुषं | चण्डंच सोम सूत्रं च पुनश्चण्डं पुनर्व्रुषम् || शैवागम || नाक्षतैरर्चयेद्विष्णुं न तुलस्या गणाधिपं | न दूर्वाया यजॅद्दुर्गां बिल्वैर्नैव च भास्करम् || न केतक्या महेशानं कुटजेनापि नार्चयेत् | अपामार्गशमीदूर्वाः शिंशपा तुलसी तथा || भ्रंगराजं चामलकं खादिरं च हरिप्रियं | तुलसी पत्रविच्छेदः शालिग्रामे न चेष्यते | उन्मत्तमर्कपुष्पं च विष्णोर्वज्यं सदा बुधैः || धर्मं यो बाधते धर्मोनस धर्मः कदाचन | अविरोधीतु योधर्मः सधर्मः सद्बिरुच्यते || Real vaishnava's उपक्रुति कुशला जगत्यजस्रं परकुशलानि निजानि मन्यमानाः | अपिपर परिभावने दयार्द्राः शिव मनसः खलु वैष्णवा ||
देवो के देव महादेव को हिन्दू धर्म में सर्वोच्च स्थान प्राप्त हैं, अतिशीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त की इच्छा पूर्ण करने वाले शिव शंकर को भोलेनाथ भी कहते है, तंत्राधिपति बाबा महाकाल की अनेक तांत्रिक मंत्रों द्वारा की जाने वाली साधना भी देव पूजा ही कहलाती हैं । तंत्र मंत्रों में से एक है शिव शाबर मन्त्र, तंत्र शास्त्र के अनुसार इस मंत्र की साधना से भगवान महाकाल शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, और अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते है ।