*।। अथ शारदोक्तमहामृत्युञ्जयजपविधिः।।* *विनियोगः* ॐ अस्य श्रीमहामृत्युञ्जयमन्त्रस्य वसिष्टऋषिः अनुष्टुप्छन्दः श्रीत्र्यम्बकरुद्रो देवता श्रीं बीजं ह्रीं शक्तिः मम यजमानस्य वा शरीरे सर्वारिष्ट निवृत्तिपूर्वकसकलमनोरथसिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः । *अथ ऋष्यादिन्यासः* ॐ वसिष्ठऋषये नमः शिरसि । अनुष्टुप्छन्दसे नमः मुखे । श्रीत्र्यम्बकरुद्र देवतायै नमः हृदये । श्रीं बीजाय नमः गुह्ये । ह्रीं शक्तये नमः पादयोः ।। *अथ करन्यासः-* ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः त्र्यम्बकं ॐ नमो भगवते रुद्राय शूलपाणये स्वाहा अङ्गुष्ठाभ्यां नमः । ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः यजामहे ॐ नमो भगवते रुद्राय अमृतमूर्तये मां जीवय जीवय तर्जनीभ्यां स्वाहा । ॐ हीं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् ॐ नमो भगवते रुद्राय चन्द्रशिरसे जटिने स्वाहा मध्यमाभ्यां वषट् । ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्व: उर्वारुकमिव बन्धनात् ॐ नमो भगवते रुद्राय त्रिपुरान्तकाय हां ह्रीं अनामिकाभ्यां हुम्। ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भुवः स्वः मृत्योर्मुक्षीय ॐ नमो.भगवते रुद्राय त्रिलोचनाय ऋग्यजुःसाममन्त्राय कनिष्ठिकाभ्यां वौषट् । ॐ हौं ॐ जूं सः भूर्भु
देवो के देव महादेव को हिन्दू धर्म में सर्वोच्च स्थान प्राप्त हैं, अतिशीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त की इच्छा पूर्ण करने वाले शिव शंकर को भोलेनाथ भी कहते है, तंत्राधिपति बाबा महाकाल की अनेक तांत्रिक मंत्रों द्वारा की जाने वाली साधना भी देव पूजा ही कहलाती हैं । तंत्र मंत्रों में से एक है शिव शाबर मन्त्र, तंत्र शास्त्र के अनुसार इस मंत्र की साधना से भगवान महाकाल शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, और अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते है ।