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मार्च, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

धन का उपयोग

●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●         ❗❗ *आचार्य रुद्रेश्वरन* ❗❗ ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 👉🏻 प्रिय पाठकों-------  भगवान विचार पूर्वक धन देते है जाने कैसे !!! भगवान सर्व समर्थ है। भगवान् के लिए कुछ भी अदेय नहीं है। पर मनुष्य को भगवान् से कुछ माँगना अयोग्य नहीं तो योग्य भी नहीं है। भगवान् सब कुछ दे सकते है। परंतु भगवान् हमें जो देते है बहुत ही विचारपूर्वक देते है। भगवान् किसी को कम अथवा किसी को अधिक नहीं देते। भगवान् हमारी क्षमता के अनुसार हमारी योग्यता के अनुसार देते है।  आइये इसे एक दृष्टान्त के माध्यम से समझे:- हमारे इस संसार में सबसे कम स्वार्थ का रिश्ता यदि कोई है तो वो माँ और बेटे का रिश्ता है। माँ अपने बेटे से निष्काम प्रेम करती है और उसके जरुरत का हमेशा ध्यान रखती है। माँ को ये पता होता है की बच्चे को कब किस वस्तु की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए बच्चे की यदि तबियत खराब है तब माँ उसे कुछ भी ऐसा खाद्य नहीं देती जिससे बच्चे की सेहत खराब हो फिर चाहे लाख बच्चा उस खाद्य के लिए ज़िद्द करे। माँ को पता है की उस खाद्य से बच्चे का सेहत खराब हो जायगा पर यदि कोई बच्चा ये समझ ले की माँ उस से प्यार नहीं करती तो ये

क्षौर कर्म/ तैल भंग

●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●         ❗❗ *आचार्य रुद्रेश्वरन* ❗❗ ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 👉🏻 प्रिय पाठकों-------  लेख पुनरबृत्ति💐 *क्षौर कर्म / तैल भंग* क्षौर कर्म : शुभाशुभ दिन गर्गादि आचार्यों के अनुसार रविवार, मंगलवार एवं शनिवार को क्षौर कर्म (हजामत) कर्म करवाने से आयु का क्षय होता है। सोमवार, बुधवार, वीरवार और शुक्रवार को क्षौर कर्म करवाना शुभ होता है।  मतांतर से एक पुत्र संतान वाले गृहस्थी को सोमवार के दिन तथा विद्या एवं धनाकांक्षी गृहस्थी को वीरवार के दिन क्षौर नहीं करना चाहिए।  इसके अतिरिक्त पर्व वाले दिन जन्मदिन, चतुर्थी, नवमी और चतुर्दशी आदि रिक्ता तिथियों में व्रत के दिन, अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, श्राद्ध के दिन, भद्रा और व्यातिपात योग में तथा भोजन करने के बाद, देश-प्रदेश जाने के समय में शुभाकांक्षी क्षौर कर्म न कराएं। मालिश करना बहुत से लोग नहाने से पूर्व शरीर की मालिश करते हैं। शास्त्रों के अनुसार- तैलाभ्यांगे रवौ ताप: सोमे शोभा कुजे मृति:। बुधेधनं गुरौ हानि: शुझे दु:ख शनौ सुखम्॥ अर्थ- रविवार को तेल मालिश से ताप यानी गर्मी संबंधी रोग, सोमवार को शरीर के सौन्दर्य में वृद्धि, मंगलवार को

जड़ और चेतन

●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬●         ❗❗ *आचार्य रुद्रेश्वरन* ❗❗ ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 👉🏻 प्रिय पाठकों-------  *जड़ और चेतन* हम यह जानते हैं कि हर वस्तु का आधार अणु और परमाणु हैं . फिर ये भेद क्यों कि किसी को हम जड़ कहते हैं किसी को चेतन . इन छोटे छोटे कणों में विशाल उर्जा समायी हुई है . इस उर्जा का धनात्मक या ऋणात्मक दोनों उपयोग किया जा सकता है . यह बात भी कही जाती है कि हर चीज के दो पहलु होते हैं और यह सत्य भी है . ऋण और धन के बिना उर्जा का प्रवाह नहीं होता . उचाई के बिना गहराई नहीं होती . अच्छे के बिना बुराई नहीं होती . अगर दूसरा पहलु नहीं हो तो शायद उस गुण को पहचानना मुश्किल हो जाये . ठण्ड है तो गर्मी भी है , अगर एक नहीं होता तो पता कैसे चलता कि क्या ठण्ड है और क्या गर्मी . जब हर वस्तु का आधार अणु परमाणु हैं तो जड़ और चेतन का अंतर क्यों ? ऐसा क्या है जिससे कोई वस्तु चेतन होती और दूसरी जड़ . मशीन, वाहन इत्यादि चलायमान हैं लेकिन चेतन नहीं . तो चलायमान होना भी चेतना नहीं है . संवाद कर लेना भी मशीनों के बीच संभव है , यह भी भेद नहीं प्रकट करता जड़ और चेतन का . या यह हमारी सोच का अंतर है कि जिस बात को