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भक्ष अभक्ष का निर्णय

۞ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۞                 * हर हर महादेव*     ●▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬●      प्रिय पाठकों ..... राक्षसों का भोजन ❓ राक्षस बोले ! -- " महर्षियों हम भूख से पीड़ित  हैं  - सनातन धर्म से भ्रष्ट हो गये हैं "            " न  च नः  कामकारोऽयं  यद् वयं  पापकारिणः ।             युषमाकं   चाप्रसादेन    दुष्कृतेन  च   कर्मणा ।।             यत् पापं वरूधतेऽस्माकं ततः स्मो ब्रह्मराक्षसाः । अर्थात् ---               हम पापाचार करते हैं  - यह हमारा स्वेच्छाचार नहीं है  - आप जैसे महात्माओं की हम पर कभी कृपा ही नहीं हुई और हम सदा दुष्कर्म ही करते चले आये - इससे हमारे पाप की निरन्तर वृद्धि होती रहती है और हम ब्रह्मराक्षस हो गये हैं । ( इसीलिए जिस घर जिन मनुष्यों को संत समागम या संत सेवा का अवसर नहीं मिलता और अगर मिलता भी है तो करते नहीं वे राक्षसी प्रवृत्ति के हो जाते हैं )        ☛   योषितां   चैव   पापेन   योनिदोषकृतेन  च ।।         एवं   ही  वैश्यशूद्राणां  क्षत्रियाणां  तथैव  च ।         ये ब्राह्मणान् प्रद्विषन्ति ते भवन्तीह राक्षसाः ।। अर्थात्  -‌--          स्त्रियाँ अपने योनिदोषजनित पा