۞ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۞ * हर हर महादेव* ●▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬● प्रिय पाठकों ..... राक्षसों का भोजन ❓ राक्षस बोले ! -- " महर्षियों हम भूख से पीड़ित हैं - सनातन धर्म से भ्रष्ट हो गये हैं " " न च नः कामकारोऽयं यद् वयं पापकारिणः । युषमाकं चाप्रसादेन दुष्कृतेन च कर्मणा ।। यत् पापं वरूधतेऽस्माकं ततः स्मो ब्रह्मराक्षसाः । अर्थात् --- हम पापाचार करते हैं - यह हमारा स्वेच्छाचार नहीं है - आप जैसे महात्माओं की हम पर कभी कृपा ही नहीं हुई और हम सदा दुष्कर्म ही करते चले आये - इससे हमारे पाप की निरन्तर वृद्धि होती रहती है और हम ब्रह्मराक्षस हो गये हैं । ( इसीलिए जिस घर जिन मनुष्यों को संत समागम या संत सेवा का अवसर नहीं मिलता और अगर मिलता भी है तो करते नहीं वे राक्षसी प्रवृत्ति के हो जाते हैं ) ☛ योषितां चैव पापेन योनिदोषकृतेन च ।। एवं ही वैश्यशूद्राणां क्षत्रियाणां तथैव च । ये ब्राह्मणान् प्रद्विषन्ति ते भवन्तीह राक्षसाः ।। अर्थात् --- स्त्रियाँ अपने योनिदोषजनित पा
देवो के देव महादेव को हिन्दू धर्म में सर्वोच्च स्थान प्राप्त हैं, अतिशीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त की इच्छा पूर्ण करने वाले शिव शंकर को भोलेनाथ भी कहते है, तंत्राधिपति बाबा महाकाल की अनेक तांत्रिक मंत्रों द्वारा की जाने वाली साधना भी देव पूजा ही कहलाती हैं । तंत्र मंत्रों में से एक है शिव शाबर मन्त्र, तंत्र शास्त्र के अनुसार इस मंत्र की साधना से भगवान महाकाल शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं, और अपने भक्तों के सभी कष्टों को हर लेते है ।