सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

जून, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सूर्य ग्रहण में 12 राशियों के मंत्र जाप

۞ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۞                 *हर हर महादेव*     ●▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬●      प्रिय पाठकों ..... *मेष राशि* – मेष राशि के जातक ग्रहण के शुभ प्रभाव के लिए तिल, गु़ड़ का दान करें । *“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायण नम:” व “ॐ घृणि सूर्याय नमः” का जाप करें।* *वृष राशि* – वृष राशि के जातक कंबल व गर्म ऊनी वस्त्र का दान करें । भगवान विष्णु के “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का एवं भगवान सूर्यदेव के *“ॐ भुवन भास्कराय नमः” मन्त्र का अधिक से अधिक जाप करें।* *मिथुन राशि* – मिथुन राशि के जातक ग्रहण से लाभ लेने के लिए ग्रहण के पश्चात चींटियों को पंजीरी और गाय को हरा चारा अवश्य ही खिलाएं, फल और हरी सब्जी का दान करें । भगवान श्री कृष्ण के मन्त्र *“ॐ क्लीं कृष्णायै नम:”॥ एवं भगवान सूर्यदेव के “ॐ सूर्याय नमः” मन्त्र का जाप अवश्य ही करें।* *कर्क राशि* – कर्क राशि के जातक ग्रहण  के शुभ फलो हेतु घी और गुड़ का दान करें , हनुमान चालीसा का पाठ करे , *“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”॥ मन्त्र का जाप करें ।* *सिंह राशि* – सिंह राशि के जातक ग्रहण से शुभ फलो को प्राप्त करने के लिए गुड और शहद का दान करें , *ॐ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधारायै

विल्बपत्र महात्म्य

*बिल्वपत्र का महात्म्य* _【श्रीशिवमहापुराण विद्येश्वर संहिता अंतर्गत】_ बिल्ववृक्ष तो महादेवस्वरूप है, देवोंके द्वारा भी इसकी स्तुति की गयी है, अत: जिस किसी प्रकारसे उसकी महिमाको कैसे जाना जा सकता है। महादेवस्वरूपोऽयं बिल्वो देवैरपि स्तुतः। यथाकथञ्चिदेतस्य महिमा ज्ञायते कथम्॥ संसारमें जितने भी प्रसिद्ध तीर्थ हैं, वे सब तीर्थ बिल्वके मूलमें निवास करते हैं। जो पुण्यात्मा बिल्ववृक्षके मूलमें लिंगरूपी अव्यय भगवान् महादेवकी पूजा करता है, वह निश्चित रूपसे शिवको प्राप्त कर लेता है। जो प्राणी बिल्ववृक्षके मूलमें शिवजीके मस्तक पर अभिषेक करता है, वह समस्त तीर्थोंमें स्नान करनेका फेल प्राप्तकर पृथ्वीपर पवित्र हो जाता है। इस बिल्ववृक्षके मूलमें बने हुए उत्तम थालेको जलसे परिपूर्ण देखकर भगवान् शिव अत्यन्त प्रसन्न होते हैं। जो व्यक्ति गन्ध-पुष्पादिसे बिल्ववृक्षके मूलका पूजन करता है, वह शिवलोकको प्राप्त करता है और उसके सन्तान और सुखकी अभिवृद्धि होती है।जो मनुष्य बिल्ववृक्षके मूलमें आदरपूर्वक दीपमालाका दान करता है, वह तत्त्वज्ञानसे सम्पन्न होकर महादेवके सान्निध्यको प्राप्त हो जाता है। पुण्यतीर्थानि यावन्

होलिका निर्णय

🚩श्री गणेशाय नमः 🚩 *होलिका निर्णय* *फाल्गुनपौर्णमासी होलिका सा च  सायान्ह व्यापिनी ग्राह्या।* इति नर्रणयामृतम्। फाल्गुन पूर्णिमा सदैव सायान्हव्यापिनी ही ग्रहण करना चाहिए  *प्रदोष व्यापिनी ग्राह्या पौर्णिमा फाल्गुनी सदा।तस्या भद्रा मुखंत्यक्त्वा पूज्या होली निशामुखे।।* इति नारद वचनम्  प्रदोष व्यापिनी (सायान्हव्यापिनी) पूर्णिमा ग्रहण करें तथा उसमें भद्रा का मुख त्याग कर निशामुख सूर्यास्त हो जाने के बाद यदि भद्रा हो तो प्रथम भाग को त्यागकर शेष भाग में होलिका पूजन एवं दहन करें यह नारद जी का वचन है 🚩 प्रतिपद्भूतभद्रासु याऽर्चिता होलिका दिवा। संवत्सरं च तद्राष्ट्रं पुरं दहति साद्भुतम्।।* *इति ज्योतिर्निबन्धे* ज्योतिर्निबन्ध में लिखा कि प्रतिपदा चतुर्दशी तथा भद्रा में एवं दिन में (सूर्य के रहते) यदि होलिका पूजन एवं दहन होता है तो उस देश को एक वर्ष तक और नगर को आश्चर्य से दहन करती है यह ज्योतिर्निबन्ध में कहा गया है 💐 *अस्यां निशागमे पार्थ संरक्ष्या:शिशवो गृहे*| *गोमयोनोपलिप्ते च सचतुष्के गृहांगणे*|| *इत्यादिना तत्रैव तद्विधानाच्च* *तेनेयं पूर्वविद्धा __श्रावणीदुर्गनवमी दूर्वा चैव हुताशनी*

माता तुलसी को शंख से अर्घ्य

तुलसीसहितो देव शंङ्खेन संयुतम् । गृहाणायं मया दत्तं देवदेव नमोऽस्तु ते ॥ 'देव ! आप तुलसीजी के साथ मेरे दिये हुए इस शङ्खयुक्त अर्घ्यको ग्रहण करें। देवदेव! आपको नमस्कार है।"