सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

सूर्य ग्रहण में 12 राशियों के मंत्र जाप

۞ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۞
                *हर हर महादेव*
    ●▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬●
     प्रिय पाठकों .....

*मेष राशि* – मेष राशि के जातक ग्रहण के शुभ प्रभाव के लिए तिल, गु़ड़ का दान करें । *“ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायण नम:” व “ॐ घृणि सूर्याय नमः” का जाप करें।*


*वृष राशि* – वृष राशि के जातक कंबल व गर्म ऊनी वस्त्र का दान करें । भगवान विष्णु के “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का एवं भगवान सूर्यदेव के *“ॐ भुवन भास्कराय नमः” मन्त्र का अधिक से अधिक जाप करें।*


*मिथुन राशि* – मिथुन राशि के जातक ग्रहण से लाभ लेने के लिए ग्रहण के पश्चात चींटियों को पंजीरी और गाय को हरा चारा अवश्य ही खिलाएं, फल और हरी सब्जी का दान करें । भगवान श्री कृष्ण के मन्त्र *“ॐ क्लीं कृष्णायै नम:”॥ एवं भगवान सूर्यदेव के “ॐ सूर्याय नमः” मन्त्र का जाप अवश्य ही करें।*


*कर्क राशि* – कर्क राशि के जातक ग्रहण  के शुभ फलो हेतु घी और गुड़ का दान करें , हनुमान चालीसा का पाठ करे , *“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”॥ मन्त्र का जाप करें ।*



*सिंह राशि* – सिंह राशि के जातक ग्रहण से शुभ फलो को प्राप्त करने के लिए गुड और शहद का दान करें , *ॐ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधारायै नम: ॥मन्त्र का अधिक से अधिक जाप करें ।*


*कन्या राशि* - कन्या राशि के जातक गुड, तिल और अनाज का दान करें । भगवान श्री हरि के मन्त्र *“ॐ विष्णवे नमः” और “ॐ घृणि सूर्याय नमः” का जाप करें।*


*तुला राशि* – तुला राशि के जातक ग्रहण से शुभ फलो को प्राप्त करने के लिए गर्म वस्त्र, कम्बल, पुस्तको का दान करे , *हनुमान चालीसा और ‘ॐ हं हनुमतये नमः’ मन्त्र का जाप करें।*


*वृश्चिक राशि* – वृश्चिक राशि के जातको को सफ़ेद तिल, गुड, दूध और गेंहू का दान करना चाहिए । इस राशि के जातक *“ॐ नमो नारायण” और “ॐ सूर्याय नमः” मन्त्र का जाप करें।*

*धनु राशि* – धनु राशि के जातक घी, शहद , तिल, गु़ड़, का दान करें। धनु राशि के जातक *“ॐ क्लीं कृष्णायै नम:” ॥ और “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मन्त्र का जाप करें।*

*मकर राशि* – मकर राशि के जातक ऊनी वस्त्र, कंबल, गेहूं, का दान करें। *“ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “ॐ आदित्याय नमः” का जाप करें।*

*कुंभ राशि* – कुम्भ राशि के जातक शहद, गु़ड़, तिल का दान करें । *‘ॐ नीलकंठाय नमः’ और ‘ॐ घृणि सूर्याय नमः’का जाप अवश्य ही करें। हनुमान चालीसा को नित्य अवश्य ही पढ़ें ।*


*मीन राशि*– मीन राशि के जातक ग्रहण के शुभ फलो को प्राप्त करने के लिए गु़ड़,घी और चने की दाल का दान करें ।ॐ *नमो भगवते वासुदेवाय” और “ॐ आदित्याय नमः” मन्त्र का जाप करें।*

                                   सम्पूर्ण.....🖌️
      🕉️ *।कालेन समौषधम्।* 🕉️
۞ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۞
              *हर इक्षा हर की* 
۞ஜ▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬ஜ۞
🌺 *ज्योतिषाचार्य वास्तुविद निगमागमोक्त*
*प्रवीण आचार्य श्री रुद्रेश्वरन गर्ग*🌺

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सूर्य उपासना

☀️ *सर्वमनोकामनाओं के सिद्धिदाता श्री सूर्यदेव की उपासना* ☀️ मानव संस्कृति के चलन में आने के बाद से ही धर्मशास्त्रों के आधार पर मनुष्य का जीवन अग्रसरित होता रहा है। यह कहने का अभिप्राय यह है कि हमारा देश धर्म प्रधान है और धर्म के बिना जीवन व्यर्थ है। इस संसार में आप लोग जहाँ तक देखेंगे यही पायेंगे कि संसार के सभी लोग चाहे वह ईसाई हों, मुस्लिम हों, सिख हों, जैन हों, बौध हो अपने अपने धर्म के प्रति समर्पित है। मतलब स्पष्ट है कि धर्म का महत्व अपरमित है। यहाँ पर मैं महाभारत में  भगवान श्रीकृष्ण द्वारा कहे गये एक श्लोक का वर्णन करना आवश्यक समझता हूँ  ....  धर्मेण हन्यते व्यधि, धर्मेण हन्यते ग्रह: ।  धर्मेण हन्यते शत्रुर्यतोधर्मस्ततो जय: ।।  अर्थात धर्म में इतनी शक्ति है कि धर्म सभी व्याधियों का हरण कर आपको सुखमय जीवन प्रदान कर सकता है । धर्म इतना शक्तिशाली है कि वह सभी ग्रहों के दुष्प्रभावों को दूर कर सकता है । धर्म ही आपके सभी शत्रुओं का हरण कर उनपर आपको विजय दिला सकता है । अत: इसी प्रयास में आज आप लोगों को अपने शास्त्रों व ज्योतिषशास्त्र के सिद्धांतों पर आधारित एक अत्यन्त ही महत्वपूर्ण साध

श्री विन्ध्यवासिनी स्त्रोतम्

श्री विन्ध्यवासिनी स्त्रोतम् "मोहि पुकारत देर भई जगदम्ब बिलम्ब कहाँ करती हो" दैत्य संहारन वेद उधारन, दुष्टन को तुमहीं खलती हो ! खड्ग त्रिशूल लिये धनुबान, औ सिंह चढ़े रण में लड़ती हो !! दास के साथ सहाय सदा, सो दया करि आन फते करती हो ! मोहि पुकारत देर भई, जगदम्ब विलम्ब कहाँ करती हो !! आदि की ज्योति गणेश की मातु, कलेश सदा जन के हरती हो ! जब जब दैत्यन युद्ध भयो, तहँ शोणित खप्पर लै भरती हो !! कि कहुँ देवन गाँछ कियो, तहँ धाय त्रिशूल सदा धरती हो ! मोहि पुकारत देर भई, जगदम्ब विलम्ब कहाँ करती हो !! सेवक से अपराध परो, कछु आपन चित्त में ना धरती हो ! दास के काज सँभारि नितै, जन जान दया को मया करती हो !! शत्रु के प्राण संहारन को, जग तारन को तुम सिन्धु सती हो ! मोहि पुकारत देर भई, जगदम्ब विलम्ब कहाँ करती हो !! कि तो गई बलि संग पताल, कि तो पुनि ज्योति अकाशगती हो ! कि धौं काम परो हिंगलाजहिं में, कै सिन्धु के विन्दु में जा छिपती हो !! चुग्गुल चोर लबारन को, बटमारन को तुमहीं दलती हो ! मोहि पुकारत देर भई, जगदम्ब विलम्ब कहाँ करती हो !! बान सिरान कि सिँह हेरान कि, ध्यान धरे प्रभु को

वर्ण ब्यवस्था

अधर्मेणैधते तावत्ततो भद्राणि पश्यति ।  ततः सपत्नान्जयति समूलस्तु विनश्यति । । जो पाप करता है वह पहले आर्थिक समृद्धि का प्राप्त करता हुआ प्रतीत होता है। उसके बाद बन्धु बान्धवों में मान सम्मान आदि भी दिखते हैं एवं कल्याणाभास भी प्रतीत होता है। वह अपने शत्रुओं को भी जीतता है किन्तु अन्त में पाप उसका जड सहित नाश कर देता है। ऐसा क्यों होता है? क्योंकि नाधर्मश्चरितो लोके सद्यः फलति गौरिव ।  शनैरावर्त्यमानस्तु कर्तुर्मूलानि कृन्तति । । क्योंकि किया गया पापकर्म तत्काल फल नहीं देता है। इस संसार में जैसे गाय की सेवा का फल दूध आदि शीघ्र प्राप्त नहीं होता वैसे ही किये हुए अधर्म का फल भी शीघ्र नहीं होता। किन्तु धीरे – धीरे घुमता हुआ यह पाप फल पापकर्म कर्ता की जडों को काट देता है। न सीदन्नपि धर्मेण मनोऽधर्मे निवेशयेत् ।  अधार्मिकानां पापानां आशु पश्यन्विपर्ययम् । । किया गया पापकर्म कर्ता पर इस जन्म में न दीखे तो अगले जन्म मे दिखेगा। इस जन्म में उसके पुत्रों पर नहीं तो पौत्रों पर फल देगा पर यह निष्फल नहीं जायेगा ये निश्चित है।  आज आपके द्वारा ईश्वरकृत सनातनी वर्णव्यवस्था के विरूद्ध किया गया अधर्माचरण