🚩श्री गणेशाय नमः 🚩
*होलिका निर्णय*
*फाल्गुनपौर्णमासी होलिका सा च सायान्ह व्यापिनी ग्राह्या।* इति नर्रणयामृतम्।
फाल्गुन पूर्णिमा सदैव सायान्हव्यापिनी ही ग्रहण करना चाहिए
*प्रदोष व्यापिनी ग्राह्या पौर्णिमा फाल्गुनी सदा।तस्या भद्रा मुखंत्यक्त्वा पूज्या होली निशामुखे।।* इति नारद वचनम्
प्रदोष व्यापिनी (सायान्हव्यापिनी) पूर्णिमा ग्रहण करें तथा उसमें भद्रा का मुख त्याग कर निशामुख सूर्यास्त हो जाने के बाद यदि भद्रा हो तो प्रथम भाग को त्यागकर शेष भाग में होलिका पूजन एवं दहन करें यह नारद जी का वचन है 🚩
प्रतिपद्भूतभद्रासु याऽर्चिता होलिका दिवा। संवत्सरं च तद्राष्ट्रं पुरं दहति साद्भुतम्।।* *इति ज्योतिर्निबन्धे*
ज्योतिर्निबन्ध में लिखा कि प्रतिपदा चतुर्दशी तथा भद्रा में एवं दिन में (सूर्य के रहते) यदि होलिका पूजन एवं दहन होता है तो उस देश को एक वर्ष तक और नगर को आश्चर्य से दहन करती है यह ज्योतिर्निबन्ध में कहा गया है 💐
*अस्यां निशागमे पार्थ संरक्ष्या:शिशवो गृहे*|
*गोमयोनोपलिप्ते च सचतुष्के गृहांगणे*||
*इत्यादिना तत्रैव तद्विधानाच्च*
*तेनेयं पूर्वविद्धा __श्रावणीदुर्गनवमी दूर्वा चैव हुताशनी*| *पूर्वविद्धैव कर्तव्या शिवरात्रिर्बलेर्दिनम्*||
हेमाद्रि तथा मदन रत्न में भविष्य पुराण का वचन है कि पूर्णिमा मे रात्रि के आने पर घर के आंगन में गाय के गोबर से लीपकर चौकोर लीपकर चौक मंडल कर बालकों की रक्षा का विधान करें।
श्रावणी दुर्गा नवमी दूर्वाष्टमी होली शिवरात्रि तथा बलिकादिन ये सब पूर्वाविद्धा करना चाहिए यदि दोनों दिन प्रदोष काल में में व्याप्त हो तो दूसरी ग्रहण करें (दिनद्वये प्रदोषाच्चव्याप्तौ परैव)
*दिनार्धात्परतोऽपि स्यात्फाल्गुनी पूर्णिमा यदि*|
*रात्रौ भद्रावसाने तु होलिका दीप्यते तदा*||
दिन के आधे भाग के बाद यदि फाल्गुन पूर्णिमा हो तो रात्रि में भद्रा समाप्ति पर होलिका दहन करें।। निर्णय सिंधु पृष्ठ संख्या 464
*निशागमे प्रपूज्येत होलिका सर्वदा बुधै:*|
*न दिवा पूजयेत् ढुंढा पूजिता दु:खदा भवेत्*|| इति दिवोदासीय वचन:
सब बुद्धिमान लोग निशा रात्रि के आने पर होलिका पूजन एवं दहन करें दिन में ढुंढा का पूजन न करें दिन में होलिका पूजन एवं दहन करने पर दुःख देने वाली होती है
अतः हृषीकेश पंचांग महावीर पंचांग में 6/3/2023सोमवार को दिन में 3बजकर 56मिनट से पूर्णिमा प्रारंभ हो रहा है और इसी के साथ भद्रा भी आरंभ हो कर रात्रि 4बजकर 48मिनट तक भद्रा रहेगा एवं 7/3/2023को पूर्णिमा दिन में 5बजकर 39मिनट पर समाप्त हो रहा है जो कि सूर्यास्त से पहले ही समाप्त हो रहा है।
अतः उपरोक्त वचनों के अनुसार होलिका दहन 6/3/2023की रात्रि में भद्रा पुच्छ में रात्रि 12-23से1-35के मध्य अथवा भद्रा बीत जाने पर अर्थात 6-7/3/2023 सोमवार/मंगल की रात्रि भोर में 4-48से 5-30के मध्य होलिका पूजन एवं दहन करें वैसे महावीर हृषीकेश पंचांग में शास्त्रीय मतानुसार दिया गया गलत नहीं है अतः रात्रि 12-23से 1-35के मध्य होलिका दहन कर सकते हैं किन्तु होगा 6/7की ही रात्रि में कुछ विद्वानों का कहना है कि यदि रात्रि 4-48के बाद समय मिल रहा है तो 4-48से अरुणोदय काल के पहले तक (सूर्योदय से पहले) होलिका दहन करने पर क्या आपत्ति है तो वे स्वतंत्र है क्योंकि दोनों वचन मिल रहा है । अतः 4-48से 5-30के मध्य होलिका दहन करना उत्तम पक्ष है
🚩 होलिका धूलि वंदन एवं रंगोत्सव 🚩यह पर्व चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को करना शास्त्रीय निर्देश है
*चैत्रकृष्णप्रतिपदि वसन्तोत्सव: सा चौदायिकी ग्राह्या प्रवृत्ते मधुमासे तु प्रतिपद्युदिते रवौ* इति भविष्योक्ते।
चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा को वसन्तोत्सव होता है और वह सूर्योदय प्रतिपदा युक्त होना चाहिए भविष्य पुराण में का वचन है कि चैत मास के लगने पर प्रतिपदा के दिन सूर्योदय होने पर बसन्तोत्सव करें अर्थात होलिका धूलि धारण रंगोत्सव आदि करें यदि दो दिन प्रतिपदा हो तो पहले दिन ही करें इसी दिन आम के फूल का प्रासन करें यह पर्व इस बार काशी को छोड़कर कर अन्यत्र 8/3/2023बुधवार को शास्त्रीय निर्देशानुसार होना चाहिए काशी में एवं काशी में 7मार्च को होगा अन्यत्र स्थानों के लोग 8मार्च को करें यही शास्त्र सम्मत है
धन्यवाद 🚩🚩🚩🚩🚩🔥🔥🥐🍱🌈💦आप सभी सनातनधर्मावलम्बियों सकुटुंब को होलिका वसन्तोत्सव पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं भगवान भूत भावन शिव श्री नारायण ब्रह्मा विष्णु महेश गणेश मां भवानी सभी को सत् संस्कार प्रदान करते हुए रक्षा करें 🙏🚩
हर हर महादेव 🚩साभार आचार्य योगेश कुमार शुक्ल जी
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